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विवाह का संकट

तुम्हारी शादी नहीं हो सकती क्योंकि तुम मांगलिक हो! मनोज जी की कड़क आवाज़ ने पूरे कमरे में सन्नाटा फैला दिया। वैशाली की आंखों में आंसू थे लेकिन उसने अपनी आवाज़ को मजबूत रखते हुए कहा मैंने क्या किया है?
इंदौर के एक छोटे से मोहल्ले में एक साधारण से घर के बाहर एक कार खड़ी थी। अंदर 29 साल की वैशाली साड़ी पहने झुकी हुई पलकों के साथ बैठी थी। उसके चारों ओर रिश्तेदारों की भीड़ थी जो उसकी शादी की चर्चा कर रहे थे। सामने बैठा लड़का विपिन जी का बेटा बारबार उसे चोर नज़रों से देख रहा था लेकिन वैशाली ने एक बार भी अपनी आंखें नहीं उठाईं। उसकी मां अदिति जी सामने बैठी महिला से कह रही थीं तो हम ये रिश्ता पक्का समझें।
तभी मनोज जी ने अपनी तेज आवाज़ में कहा हमारे घर में लड़कियां फैसला नहीं लेतीं। वैशाली की आंखों में नमी आ गई। विपिन जी ने मुस्कुराते हुए कहा आपने तो अच्छे संस्कार दिए हैं अपनी बेटी को। अदिति जी ने गर्व से कहा बहुत संस्कारी है मेरी बेटी आपको कभी शिकायत का मौका नहीं देगी। वैशाली ने मन में सोचा बहु बहु ही क्यों? कोई बेटी क्यों नहीं? तभी उसकी मां ने उसे मिठाई की प्लेट पकड़ाते हुए कहा चलो सबका मुंह मीठा करवाओ।
जैसे ही वैशाली ने मिठाई की प्लेट लड़के के पास बढ़ाई उसने उसके हाथ को छू लिया। वैशाली ने उसे देखा और उसकी आंखों में आंसू आ गए। लड़के की मां ने कहा हम आपकी बेटी को बहुत पसंद करते हैं। अदिति जी ने उन्हें विदा किया लेकिन जैसे ही वे चले गए मनोज जी ने वैशाली को घूरते हुए कहा इस लड़की से बोल दो इतनी मुश्किल से कोई लड़का तैयार हुआ है जो पंडित जी जो रस्म बताए शांति से कर दे।
अदिति जी ने सिर हिलाया लेकिन वैशाली के मन में एक तूफान चल रहा था। क्या वह सच में इस रिश्ते के लिए तैयार थी? तभी फोन की घंटी बजी और अदिति जी की आवाज़ सुनकर
विवाह का संकट तुम्हारी शादी नहीं हो सकती क्योंकि तुम मांगलिक हो! मनोज जी की कड़क आवाज़ ने पूरे कमरे में सन्नाटा फैला दिया। वैशाली की आंखों में आंसू थे लेकिन उसने अपनी आवाज़ को मजबूत रखते हुए कहा मैंने क्या किया है? इंदौर के एक छोटे से मोहल्ले में एक साधारण से घर के बाहर एक कार खड़ी थी। अंदर 29 साल की वैशाली साड़ी पहने झुकी हुई पलकों के साथ बैठी थी। उसके चारों ओर रिश्तेदारों की भीड़ थी जो उसकी शादी की चर्चा कर रहे थे। सामने बैठा लड़का विपिन जी का बेटा बारबार उसे चोर नज़रों से देख रहा था लेकिन वैशाली ने एक बार भी अपनी आंखें नहीं उठाईं। उसकी मां अदिति जी सामने बैठी महिला से कह रही थीं तो हम ये रिश्ता पक्का समझें। तभी मनोज जी ने अपनी तेज आवाज़ में कहा हमारे घर में लड़कियां फैसला नहीं लेतीं। वैशाली की आंखों में नमी आ गई। विपिन जी ने मुस्कुराते हुए कहा आपने तो अच्छे संस्कार दिए हैं अपनी बेटी को। अदिति जी ने गर्व से कहा बहुत संस्कारी है मेरी बेटी आपको कभी शिकायत का मौका नहीं देगी। वैशाली ने मन में सोचा बहु बहु ही क्यों? कोई बेटी क्यों नहीं? तभी उसकी मां ने उसे मिठाई की प्लेट पकड़ाते हुए कहा चलो सबका मुंह मीठा करवाओ। जैसे ही वैशाली ने मिठाई की प्लेट लड़के के पास बढ़ाई उसने उसके हाथ को छू लिया। वैशाली ने उसे देखा और उसकी आंखों में आंसू आ गए। लड़के की मां ने कहा हम आपकी बेटी को बहुत पसंद करते हैं। अदिति जी ने उन्हें विदा किया लेकिन जैसे ही वे चले गए मनोज जी ने वैशाली को घूरते हुए कहा इस लड़की से बोल दो इतनी मुश्किल से कोई लड़का तैयार हुआ है जो पंडित जी जो रस्म बताए शांति से कर दे। अदिति जी ने सिर हिलाया लेकिन वैशाली के मन में एक तूफान चल रहा था। क्या वह सच में इस रिश्ते के लिए तैयार थी? तभी फोन की घंटी बजी और अदिति जी की आवाज़ सुनकर
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