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ये धुआँ ये घुटन कहीं दूर खो जाए।
इस साल शायद कुछ अच्छा हो जाए।।

ओढ़े ये दुनियां चैन ओ अमन की चादर।
नफ़रत दिलों की गहरी नींद सो जाए।।

फूलों की तरहा से खिलें सभी के चेहरे।
वक्त कोई ऐसी फसले बहार बो जाए।।

हिन्दू हो या मुस्लिम सिख या ईसाई।
कोई बारिश रंजिशों के दाग धो जाए।।

नए साल की यारो सभी को बधाई।
बलजीत" ये बधाई मेरी सभी को जाए।।
ये धुआँ ये घुटन कहीं दूर खो जाए। इस साल शायद कुछ अच्छा हो जाए।। ओढ़े ये दुनियां चैन ओ अमन की चादर। नफ़रत दिलों की गहरी नींद सो जाए।। फूलों की तरहा से खिलें सभी के चेहरे। वक्त कोई ऐसी फसले बहार बो जाए।। हिन्दू हो या मुस्लिम सिख या ईसाई। कोई बारिश रंजिशों के दाग धो जाए।। नए साल की यारो सभी को बधाई। बलजीत" ये बधाई मेरी सभी को जाए।।
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