"खेजड़ी" अपने जिंदगी के आखिरी पड़ाव में..
खेजड़ी à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ वृकà¥à¤· है जो अपनी जड़ों से पानी सोखता है ,कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ कि राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में पानी की कमी होती है इसलिठयहां वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ अपने आप पानी की पूरà¥à¤¤à¤¿ करती है और केर सांगरी जैसे फल देती है
इसको बोलते हैं निसà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ सेवा जो बिना कà¥à¤› लिठआपको बहà¥à¤¤ कà¥à¤› देती है।।
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